"आदमी के खर्चे और कर्जे मसान (शमशान) तक चलते हैं!"
दोस्तों,
कोई कितना भी कोशिश कर ले की वो "कर्ज" न करे लेकिन वो इस मायावी संसार से नहीं बच सकता। इन्हे गुप्त कर्ज (ऋण) कहते है जो दुनिया को नहीं दिखता है यदि आप इस कर्ज को नहीं चुकाओगे, नहीं भरोगे, तो आपकी आने वाली पीढ़ी संतान को बहुत कष्ट समस्या होगी।
दोस्तों,
कोई कितना भी कोशिश कर ले की वो "कर्ज" न करे लेकिन वो इस मायावी संसार से नहीं बच सकता। इन्हे गुप्त कर्ज (ऋण) कहते है जो दुनिया को नहीं दिखता है यदि आप इस कर्ज को नहीं चुकाओगे, नहीं भरोगे, तो आपकी आने वाली पीढ़ी संतान को बहुत कष्ट समस्या होगी।
मैं मनोज साहू कहता हूँ की जिस प्रकार आप अपने पिता- दादा की धन सम्पत्ति जायदाद का भोग करने का अधिकार रखते हो, उसी प्रकार पिता -दादा (पितृ) के गुप्त कर्ज को भी भोगने का और उनकी भरपाई करना आप के हिस्से में आएगा।
आज की दुनिया में आप अपने यही आस -पास के कष्ट और गरीबी / कर्ज से पीड़ित / कोर्ट कचहरी से परेशान लोगो को देखे और उनके बीते हुए समय को जानने की कोशिश करेंगे तो पता लग जायेगा की उनकी पिछली पीढ़ी दादा-परदादा काफी समृद्ध और धनी हुआ करते थे। अब उन्ही के ये वंश का पतन क्यों हो रहा है ? आखिर क्यों? नहीं तो मुझे एक बार कुंडली दिखाए मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) बताऊंगा, क्यों इस वंश का पतन हो रहा है? और इसका क्या हल है?
आओ जाने कैसे नहीं बच सकता है:
* पैदा हुआ तो माता पिता का कर्ज !
* साँस लिया, उस परमात्मा का कर्ज !
* दूध पिया, माता का कर्ज !
* अनाज खाया, किसान का कर्ज !
* भूमि में खेला, प्रकृति का कर्ज !
* शिक्षा लिया, गुरु का कर्ज !
* बड़े भाई के साये में खेला, भाई का कर्ज !
* बड़ी बहन के साये में खेला, बहन का कर्ज !
* शादी विवाह किया, स्त्री का कर्ज !
फिर एक उदाहरण दे रहा हूँ -
कर्ज कैसे उतरे, इसे ध्यान से समझने की जरूरत है:
ऐसे कई जीवन के पहलू है जहा मनुष्य पैदा होने के बाद से लेकर मरते दम तक किसी न किसी के एहसान कर्ज तले पलता और बड़ा होता जाता है। सबसे बड़ी जो सोचने की बात है की वो बेवकूफ सोचता है की "मैं इसका दाम चुकाता हुँ या इसकी कीमत चूका दूंगा। क्या कोई ये बता सकता है की यदि किसान ने जिस परेशानी में उस अनाज को बोया उगाया वो समय / वो मौसम / वो पथरीली / कांटे / कीचल वाली जगह और वो दुःख। क्या उसकी कीमत कोई दे सकता है ? नहीं।
क्या कोई माता का कर्ज उतार सकता है? नहीं
कुछ लोगो का मानना है की हम माँ बाप को पालेंगे तो इससे हमारा धर्म और कर्त्तव्य भी पूरा हो जायेगा। मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी ये कहना चाहूंगा आप सभी को कि अगर आप ऐसा सोच रहे है की हम किसी न किसी रूप में कर्ज उतार देते है या दाम देकर उतार देंगे। आप सभी लोग गलत है दोस्तों। क्योंकि आप सब से पहले जाने की आप का जन्म इस पृथ्वी में हुआ ही क्यों है ?
* पैदा हुआ तो माता पिता का कर्ज !
* साँस लिया, उस परमात्मा का कर्ज !
* दूध पिया, माता का कर्ज !
* अनाज खाया, किसान का कर्ज !
* भूमि में खेला, प्रकृति का कर्ज !
* शिक्षा लिया, गुरु का कर्ज !
* बड़े भाई के साये में खेला, भाई का कर्ज !
* बड़ी बहन के साये में खेला, बहन का कर्ज !
* शादी विवाह किया, स्त्री का कर्ज !
फिर एक उदाहरण दे रहा हूँ -
कर्ज कैसे उतरे, इसे ध्यान से समझने की जरूरत है:
ऐसे कई जीवन के पहलू है जहा मनुष्य पैदा होने के बाद से लेकर मरते दम तक किसी न किसी के एहसान कर्ज तले पलता और बड़ा होता जाता है। सबसे बड़ी जो सोचने की बात है की वो बेवकूफ सोचता है की "मैं इसका दाम चुकाता हुँ या इसकी कीमत चूका दूंगा। क्या कोई ये बता सकता है की यदि किसान ने जिस परेशानी में उस अनाज को बोया उगाया वो समय / वो मौसम / वो पथरीली / कांटे / कीचल वाली जगह और वो दुःख। क्या उसकी कीमत कोई दे सकता है ? नहीं।
क्या कोई माता का कर्ज उतार सकता है? नहीं
कुछ लोगो का मानना है की हम माँ बाप को पालेंगे तो इससे हमारा धर्म और कर्त्तव्य भी पूरा हो जायेगा। मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी ये कहना चाहूंगा आप सभी को कि अगर आप ऐसा सोच रहे है की हम किसी न किसी रूप में कर्ज उतार देते है या दाम देकर उतार देंगे। आप सभी लोग गलत है दोस्तों। क्योंकि आप सब से पहले जाने की आप का जन्म इस पृथ्वी में हुआ ही क्यों है ?
फिर जाने की हुआ तो क्या धन कमाने / परिवार पालने / धन, स्त्री, गरीब का शोषण करने के लिए हुआ है?
उदाहरण
माता का कर्ज :
माँ का पालन पोषण, ध्यान, सम्मान देना, आपका कर्त्तव्य है। सिर्फ ये ही नहीं की अपनी माँ की सेवा से आप मातृ ऋण से मुक्त होंगे बल्कि सभी माएं जो किसी अन्य की भी माँ हो उनका भी सम्मान करना और सेवा करना आपका कर्त्तव्य है।
यदि ऐसा आप नहीं करते है तो आप माता के कर्ज से मुक्त नहीं होंगे। हर माँ की सेवा आप का फर्ज है.
इसी प्रकार हर रिश्ता और जुड़ा हुआ व्यक्ति की मदद करना, सेवा करना आपका फर्ज है जिससे आप कर्ज से बच सकते है.
इन्हे गुप्त कर्ज (ऋण) कहते है जो दुनिया को नहीं दिखता है
यदि आप इस कर्ज को नहीं चुकाओगे, नहीं भरोगे, तो आपकी आने वाली पीढ़ी संतान को बहुत कष्ट समस्या होगी।
उदाहरण
माता का कर्ज :
माँ का पालन पोषण, ध्यान, सम्मान देना, आपका कर्त्तव्य है। सिर्फ ये ही नहीं की अपनी माँ की सेवा से आप मातृ ऋण से मुक्त होंगे बल्कि सभी माएं जो किसी अन्य की भी माँ हो उनका भी सम्मान करना और सेवा करना आपका कर्त्तव्य है।
यदि ऐसा आप नहीं करते है तो आप माता के कर्ज से मुक्त नहीं होंगे। हर माँ की सेवा आप का फर्ज है.
इसी प्रकार हर रिश्ता और जुड़ा हुआ व्यक्ति की मदद करना, सेवा करना आपका फर्ज है जिससे आप कर्ज से बच सकते है.
इन्हे गुप्त कर्ज (ऋण) कहते है जो दुनिया को नहीं दिखता है
यदि आप इस कर्ज को नहीं चुकाओगे, नहीं भरोगे, तो आपकी आने वाली पीढ़ी संतान को बहुत कष्ट समस्या होगी।
मैं मनोज साहू कहता हूँ की जिस प्रकार आप अपने पिता दादा की धन सम्पत्ति जायदाद का भोग करने का अचिकार रखते हो , उसी प्रकार पिता दादा (पितृ) के गुप्त कर्ज को भी भोगने का और उनकी भरपाई करना आप के हिस्से में आएगा।
आज ही अपनी जन्म कुंडली से जाने, कौन सा पितृ दोष लेकर आप जन्मे है या आपकी संतान कौन सा पितृ दोष लेकर आये है। जिसका निवारण और हल तुरंत करे और फिर देखे जीवन में तरक्की किसे कहते है। फिर आप ही लोगो को और मुझे (ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ)) कहेंगे की
.............................."बड़े भाग्य, मनुष्य तन पायो "...........................
दोस्तों आज ही अपनी कुंडली दिखाकर जानने की कोशिश करो आखिर क्या चीज है जो आप को नहीं करनी चाहिए !!
दोस्तों आज ही अपनी कुंडली दिखाकर जानने की कोशिश करो आखिर क्या चीज है जो आप को नहीं करनी चाहिए !!
Contact: 9039636706, 8656979221
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