Friday, April 3, 2015

पार्वती हठ

पार्वती हठ ........
महादेव के लिए
‘हठ न छूट छूटै बरु देहा’
जन्म कोटि लागि रगर हमारी।
बरउँ सम्भु न त रहउँ कुँआरी।
‘तजउँ न नारद कर उपदेसू।
आपु कहहिं सत बार महेसू।।’
‘गुरु के वचन प्रतीति न जेही।
सपनेहु सुगम न सुख सिधि तेही।


हठ नहीं छूटेगा, शरीर भले ही छूट जाय करोड़ों जन्म तक हमारी यही टेक है कि शंभु का वरण करूँगी अन्यथा कुमारी रहूंगी ।मैं नारद का उपदेश नहीं त्याग सकती। भगवान् शिव भी स्वयं आकर सौ बार कहें तब भी मैं नहीं छोड़ूँगी। गुरु के वचनों पर जिसे विश्वास नहीं है उसे स्वप्न में भी न सुख है, न सिद्धि ही है।

 Astrologer Manoj Sahu Ji
(Lal kitab Specialist - Indore)
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