Saturday, April 4, 2015

खग्रास चन्द्र ग्रहण

नमस्कार दोस्तो,
मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषञ) की ओर से एक छोटी सी कोशिश :
(भूभाग में ग्रहण का समय: दोपहर ३-४५ से शाम ७-१५ तक )  भगवन वेदव्यासजी कहते है की सामान्य दिन से
चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना, यदि गंगा-जल पास में हो तो
एक करोड़ गुना फलदायी होता है ।

भूभाग में ग्रहण प्रारम्भ - दोपहर 3-45, समाप्त - शाम 7-15 तक ।
वेध (सूतक) – सुबह 6-45 से चालु है। अशक्त, वृद्ध, बालक, गर्भिणी तथा रोगी के लिए सुबह 11 बजे से वेध (सूतक) चालु है ।

ग्रहण के समय करणीय-अकरणीय नियम

१) ‘देवी भागवत’ में आता है :
‘सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करनेवाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक अरुन्तुद’ नरक में वास करता है। फिर वह उदर-रोग से पीड़ित मनुष्य होता है । फिर गुल्मरोगी, काना और दंतहीन होता है

२) सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (१२ घंटे) पूर्व और चन्द्रग्रहण में तीन प्रहर (९ घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए । बूढे, बालक और रोगी डेढ प्रहर (साढे चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं । ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए ।

३) ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते । जबकि पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए ।

४) ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए । स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं ।

५) ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए ।

६) ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्र और उनकी आवश्यक वस्तु दान करने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है ।

७) ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए ।

८) ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीडा, स्त्री-प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढी होता है । गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए ।

९) भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं :  ‘सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है ।  यदि गंगा-जल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड गुना फलदायी होता है ।’

१०) ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
कुछ मुख्य शहरों में ग्रहण के पुण्य काल प्रारम्भ का समय नीचे दिया जा रहा है । पुण्य काल समाप्ति सभी स्थानों का ग्रहण समाप्ति (शाम 7-15) तक रहेगा ।
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अहमदाबाद – शाम 6-54 से,
सूरत – शाम 6-53 से,
मुम्बई – शाम 6-52 से,
हैदराबाद – शाम 6-28
से, दिल्ली – शाम 6-38 से,
कलकत्ता – शाम 5-49 से,
नागपुर – 6-27 से,
जयपुर – 6-43 से,6
रायपुर – 6-16 से,
पुरी – 5-58 से,
चंडीगढ़ – शाम 6-41 से,
इन्दौर – शाम 6-41 से,
उज्जैन – शाम 6-41 से ,
जबलपुर – शाम 6-24 से,
जोधपुर – शाम 6-55 से,
लुधियाना – शाम 6-45 से,
अमृतसर – शाम 6-50 से,
जम्मू – शाम 6-50 से,
लखनऊ – शाम 6-22 से,
कानपुर – शाम 6-24 से,
वाराणसी – शाम 6-13 से,
इलाहबाद – शाम 6-17 से,
पटना – शाम 6-04 से,
राँची – शाम 6-02 से,
नासिक – शाम 6-48 से,
औरंगाबाद – शाम 6-42,
वड़ोदरा – शाम 6-52,
बैंगलोर – शाम 6-29 से,
चेन्नई – शाम 6-18 से,
देहरादुन – 6-36 से,
हरिद्वार– 6-35तक

............................by:
Astrologer Manoj Sahu Ji
(लाल किताब विशेषञ)
Mob. 9039636706-8656979221
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