Thursday, April 9, 2015

बृहस्पति और शुक्र दो ग्रह हैं जो पुरूष और स्त्री का प्रतिनिधित्व करते हैं! - Jupiter & Venus are the two main planetes which decides the marrital harmony in a person's life

मुख्य रूप ये दो ग्रह वैवाहिक जीवन में सुख दु:, संयोग और वियोग का फल देते हैं!

बृहस्पति और शुक्र दोनों ही शुभ ग्रह सप्तम(7th) भाव जीवन साथी का घर होता हैं! इस घर में इन दोनों ग्रहों की स्थिति एवं प्रभाव के अनुसार विवाह एवं दाम्पत्य सुख का सुखद अथवा दुखद फल मिलता हैं! पुरूष की कुण्डली में शुक्र ग्रह पत्नी एवं वैवाहिक सुख का कारक होता हैं! और स्त्री की कुण्डली में बृहस्पति ये दोनों ग्रह स्त्री एवं पुरूष की कुण्डली में जहां स्थित होते हैं और जिन स्थानों को देखते हैं उनके अनुसार जीवनसाथी मिलता हैं! और वैवाहिक सुख प्राप्त होता हैं!

ज्योतिषशास्त्र का नियम है कि बृहस्पति जिस भाव में होता हैं उस भाव के फल को दूषित करता है! और जिस भाव पर इनकी दृष्टि होती है! उस भाव से सम्बन्धित शुभ फल प्रदान करते हैं! जिस स्त्री अथवा पुरूष की कुण्डली में गुरू सप्तम भाव में विराजमान होता हैं उनका विवाह या तो विलम्ब से होता है! अथवा दाम्पत्य जीवन के सुख में कमी आती है!पति पत्नी में अनबन और क्लेश के कारण गृहस्थी में उथल पुथल मची रहती है! 

दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने में बृहस्पति और शुक्र का सप्तम भाव और सप्तमेश से सम्बन्ध महत्वपूर्ण होता है! जिस पुरूष की कुण्डली में सप्तम भाव, सप्तमेश और विवाह कारक ग्रह शुक बृहस्पति से युत या दृष्ट होता! उसे सुन्दर गुणों वाली अच्छी जीवनसंगिनी मिलती है!इसी प्रकार जिस स्त्री की कुण्डली में सप्तम भाव, सप्तमेश और विवाह कारक ग्रह बृहस्पति शुक्र से युत या दृष्ट होता है! उसे सुन्दर और अच्छे संस्कारों वाला पति मिलता है! शुक्र भी बृहस्पति के समान सप्तम भाव में सफल वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है!

सप्तम भाव का शुक्र व्यक्ति को अधिक कामुक बनाता है! जिससे विवाहेत्तर सम्बन्ध की संभावना प्रबल रहती है! विवाहेत्तर सम्बन्ध के कारण वैवाहिक जीवन में क्लेश के कारण गृहस्थ जीवन का सुख नष्ट होता है! बृहस्पति और शुक्र जब सप्तम भाव को देखते हैं अथवा सप्तमेश पर दृष्टि डालते हैं तो इस स्थिति में वैवाहिक जीवन सफल और सुखद होता है!लग्न में बृहस्पति अगर पापकर्तरी योगवव से पीड़ित होता है! तो सप्तम भाव पर इसकी दृष्टि का शुभ प्रभाव नहीं होता है! ऐसे में सप्तमेश कमज़ोर हो या शुक्र के साथ हो तो दाम्पत्य जीवन सुखद और सफल रहने की संभावना कम रहती है!

Astrologer Manoj Sahu Ji (Lal Kitab Expert)
ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ)
Contact: 9039636706, 8656979221
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सबसे खतरनाक बिमारी है डायबिटीज और इसका समाधान यह भी है - Chants to cure diabetes

सबसे खतरनाक बिमारी है डायबिटीज और इसका समाधान यह भी है

डायबिटीज रोग कैसा होता है, यह तो इससे पीड़ित रोगी ही अच्छी तरह समझ सकते हैं। दिखने में तो यह सामान्य है, लेकिन जब यह उग्र रूप धारण कर लेता है, तो व्यक्ति अनेक प्रकार की बिमारियों से घिर जाता है तथा मृत्यु के समान कष्ट पाता है। इसी कारण इसको खतरनाक बिमारी कहा गया है।

आप इस रोग का पूर्ण समाधान प्राप्त कर सकते है, यदि आप दवाओं के साथ साथ इस प्रयोग को भी संपन्न कर लें। रविवार के दिन पूर्व दिशा की ओर मुख कर सफेद आसन पर बैठ जाएं। सर्वप्रथम गुरु पूजन संपन्न करे तथा गुरूजी से पूर्ण स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके पश्चात सफेद रंग के वस्त्र पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर 'अभीप्सा' को स्थापित करे दें, फिर उसके समक्ष १५ दिन तक नित्य मंत्र का ८ बार उच्चारण करें -

मंत्र
॥ ॐ ऐं ऐं सौः क्लीं क्लीं ॐ फट ॥

प्रयोग समाप्ति के बाद 'अभीप्सा' को नदी मैं प्रवाहित कर देन
स्वास्थ्य प्राप्ति मन्त्र
अच्युतानन्द गोविन्द
नामोच्चारण भेषजात ।
नश्यन्ति सकला रोगाः
सत्यंसत्यं वदाम्यहम् ।।
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ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी
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मो. 9039636706 - 8656979221
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Wednesday, April 8, 2015

****** || शंका समाधान विषय || ******

.....क्या वाकई हनुमान जी बन्दर थे?
.....क्या वाकई में उनकी पूंछ थी ?


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नमस्कार दोस्तों,
मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) आप सभी को कुछ शास्त्रो से जुडी बाते बताना चाह रहा हूँ गौर कीजियेगा। हो सके तो पसंद आने पर लाइक - कॉमेंट्स देकर आशीर्वाद जरूर दे।
ऋषि दयानन्द कहते है की असत्य का त्याग और सत्य को धारण करना ही धर्म है।
वाल्मीकि रामायण जो की रामजी के जिवन का मुल व प्रमाणीक ग्रंथ है बाकी सभी रामायण वो उसी को आधार बनाकर के लिखी गई है चाहे वह लसिदासजी कदम्बजी या कीसी और अन्य विद्वान के द्वारा लिखी गई हो।
दोस्तों, वाल्मीक रामायण के अनुसार मर्यादा पुरुषोतम श्रीराम चन्द्रजी महाराज के पश्चात परम बलशाली वीर शिरोमणि हनुमानजी का नाम स्मरण किया जाता हैं। हनुमानजी का जब हम चित्र देखते हैं तो उसमें उन्हें एक बन्दर के रूप में चित्रित किया गया हैं जिनके पूंछ भी हैं।
हमारे मन में प्रश्न भी उठते हैं की इस प्रश्न का उत्तर इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्यूंकि अज्ञानी लोग वीर हनुमान का नाम लेकर परिहास करने का असफल प्रयास करते रहते हैं।
दोस्तों, आईये इन प्रश्नों का उत्तर वाल्मीकि रामायण से ही प्राप्त करते हैं - सर्वप्रथम “वानर” शब्द पर विचार करते हैं।
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🌑 दोस्तों, सामान्य रूप से हम “वानर” शब्द से यह अभिप्रेत कर लेते हैं की वानर का अर्थ होता हैं बन्दर परन्तु अगर इस शब्द का विश्लेषण करे तो वानर शब्द का अर्थ होता हैं वन में उत्पन्न होने वाले अन्न को ग्रहण करने वाला।
जैसे पर्वत अर्थात गिरि में रहने वाले और वहाँ का अन्न ग्रहण करने वाले को गिरिजन कहते हैं उसी प्रकार वन में रहने वाले को वानर कहते हैं। वानर शब्द से किसी योनि विशेष, जाति , प्रजाति अथवा उपजाति का बोध नहीं होता।
🌑 दोस्तों, सुग्रीव, बालि आदि का जो चित्र हम देखते हैं उसमें उनकी पूंछ दिखाई देती हैं, परन्तु उनकी स्त्रियों के कोई पूंछ नहीं होती?
नर-मादा का ऐसा भेद संसार में किसी भी वर्ग में देखने को नहीं मिलता। इसलिए यह स्पष्ट होता हैं की हनुमान आदि के पूंछ होना केवल एक चित्रकार की कल्पना मात्र हैं।
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🌑 किष्किन्धा कांड (3/28-32) में जब श्री रामचंद्रजी महाराज की पहली बार ऋष्यमूक पर्वत पर हनुमान से भेंट हुई तब दोनों में परस्पर बातचीत के पश्चात रामचंद्रजी लक्ष्मण से बोले -
..........न अन् ऋग्वेद विनीतस्य न अ यजुर्वेद धारिणः |
..........न अ-साम वेद विदुषः शक्यम् एवम् विभाषितुम् ||
४-३-२८ “ऋग्वेद के अध्ययन से अनभिज्ञ और यजुर्वेद का जिसको बोध नहीं हैं तथा जिसने सामवेद का अध्ययन नहीं किया है, वह व्यक्ति इस प्रकार परिष्कृत बातें नहीं कर सकता। निश्चय ही इन्होनें सम्पूर्ण व्याकरण का अनेक बार अभ्यास किया हैं, क्यूंकि इतने समय तक बोलने में इन्होनें किसी भी अशुद्ध शब्द का उच्चारण नहीं किया हैं। संस्कार संपन्न, शास्त्रीय पद्यति से उच्चारण की हुई इनकी वाणी ह्रदय को हर्षित कर देती हैं”।
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🌑 दोस्तों, सुंदर कांड (30/18,20) में जब हनुमान अशोक वाटिका में राक्षसियों के बीच में बैठी हुई सीता को अपना परिचय देने से पहले हनुमानजी सोचते हैं “यदि द्विजाति (ब्राह्मण-क्षत्रिय- वैश्य) के समान परिमार्जित संस्कृत भाषा का प्रयोग करूँगा तो सीता मुझे रावण समझकर भय से संत्रस्त हो जाएगी।
मेरे इस वनवासी रूप को देखकर तथा नागरिक संस्कृत को सुनकर पहले ही राक्षसों से डरी हुई यह सीता और भयभीत हो जाएगी। मुझको कामरूपी रावण समझकर भयातुर विशालाक्षी सीता कोलाहल आरंभ करदेगी। इसलिए मैं सामान्य नागरिक के समान परिमार्जित भाषा का प्रयोग करूँगा।” इस प्रमाणों से यह सिद्ध होता हैं की हनुमान जी चारों वेद, व्याकरण और संस्कृत सहित अनेक भाषायों के ज्ञाता भी थे।
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🌑 हनुमान जी के अतिरिक्त अन्य वानर जैसे की बालि पुत्र अंगद का भी वर्णन वाल्मीकि रामायण में संसार के श्रेष्ठ महापुरुष के रूप में किष्किन्धा कांड 54/2 में हुआ हैं हनुमान बालि पुत्र अंगद को अष्टांग बुद्धि से सम्पन्न, चार प्रकार के बल से युक्त और राजनीति के चौदह गुणों से युक्त मानते थे।
बुद्धि के यह आठ अंग हैं- सुनने की इच्छा, सुनना, सुनकर धारण करना, ऊहापोह करना, अर्थ या तात्पर्य कोठीक ठीक समझना, विज्ञान व तत्वज्ञान।
चार प्रकार के बल हैं- साम , दाम, दंड और भेद राजनीति के चौदह गुण हैं- देशकाल का ज्ञान, दृढ़ता, कष्टसहिष्णुता, सर्वविज्ञानता, दक्षता, उत्साह, मंत्रगुप्ति, एकवाक्यता, शूरता, भक्तिज्ञान, कृतज्ञता, शरणागत वत्सलता, अधर्म के प्रति क्रोध और गंभीरता। भला इतने गुणों से सुशोभित अंगद बन्दर कहाँ से हो सकता हैं?
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🌑 अंगद की माता तारा के विषय में मरते समय किष्किन्धा कांड 16/12 में बालि ने कहा था की “सुषेन की पुत्री यह तारा सूक्षम विषयों के निर्णय करने तथा नाना प्रकार के उत्पातों के चिन्हों को समझने में सर्वथा निपुण हैं। जिस कार्य को यह अच्छा बताए, उसे नि:संग होकर करना। तारा की किसी सम्मति का परिणाम अन्यथा नहीं होता।”
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🌑 दोस्तों, किष्किन्धा कांड (25/30) में बालि के अंतिम संस्कार के समय सुग्रीव ने आज्ञा दी – मेरे ज्येष्ठ बन्धु आर्य का संस्कार राजकीय नियन के अनुसार शास्त्र अनुकूल किया जाये। किष्किन्धा कांड (26/10) में सुग्रीव का राजतिलक हवन और मन्त्रादि के साथ विद्वानों ने किया।
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🌑 जहाँ तक जटायु का प्रश्न हैं वह गिद्ध नामक पक्षी नहीं था। जिस समय रावण सीता का अपहरण कर उसे ले जा रहा था तब जटायु को देख कर सीता ने कहाँ – हे आर्य जटायु !
यह पापी राक्षस पति रावण मुझे अनाथ की भान्ति उठाये ले जा रहा हैं ।
सन्दर्भ-अरण्यक 49/38
......जटायो पश्य मम आर्य ह्रियमाणम् अनाथवत् |
......अनेन राक्षसेद्रेण करुणम् पाप कर्मणा || ४९-३८
......कथम् तत् चन्द्र संकाशम् मुखम् आसीत् मनोहरम् |
......सीतया कानि च उक्तानि तस्मिन् काले द्विजोत्तम|| ६८-६
यहाँ जटायु को आर्य और द्विज कहा गया हैं। मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) आप सभी को बताना चाहता हूँ की यह शब्द किसी पशु-पक्षी के सम्बोधन में नहीं कहे जाते। रावण को अपना परिचय देते हुए जटायु ने कहा -मैं गृध कूट का भूतपूर्व राजा हूँ और मेरा नाम जटायु हैं
सन्दर्भ - अरण्यक 50/4
......(जटायुः नाम नाम्ना अहम् गृध्र राजो महाबलः | 50/4)
यह भी निश्चित हैं की पशु-पक्षी किसी राज्य का राजा नहीं हो सकते।
इन प्रमाणों से यह सिद्ध होता हैं की जटायु पक्षी नहीं था अपितु एक मनुष्य था जो अपनी वृद्धावस्था में जंगल में वास कर रहा था।
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🌑 दोस्तों, जहाँ तक जाम्बवान के रीछ होने का प्रश्न हैं। जब युद्ध में राम-लक्ष्मण मेघनाद के ब्रहमास्त्र से घायल हो गए थे तब किसी को भी उस संकट से बाहर निकलने का उपाय नहीं सूझ रहा था। तब विभीषण और हनुमान जाम्बवान के पास गये तब जाम्बवान ने हनुमान को हिमालय जाकर ऋषभ नामक पर्वत और कैलाश नामक पर्वत से संजीवनी नामक औषधि लाने को कहा था।
सन्दर्भ युद्ध कांड सर्ग-74/31-34 आपत काल में
बुद्धिमान और विद्वान जनों से संकट का हल पूछा जाता हैं और युद्ध जैसे काल में ऐसा निर्णय किसी अत्यंत बुद्धिवान और विचारवान व्यक्ति से,पूछा जाता हैं। पशु-पक्षी आदि से ऐसे संकट काल में उपाय पूछना सर्वप्रथम तो संभव ही नहीं हैं दूसरे बुद्धि से परे की बात हैं।
इन सब वर्णन और विवरणों को बुद्धि पूर्वक पढने के पश्चात कौन मान सकता हैं की हनुमान, बालि, सुग्रीव आदि विद्वान एवं बुद्धिमान मनुष्य न होकर बन्दर आदि थे। यह केवल मात्र एक कल्पना हैं और अपने श्रेष्ठ महापुरुषों के विषय में असत्य कथन हैं।
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मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) आप सभी को बताना चाहता हूँ की कुछ मुर्ख हनुमानजी आदी को बन्दर सिद्ध करने के लिऐ "डार्विन के सिद्धांत" का भी तर्क देते है, तो उन अक्ल के अन्धो को बता देना चाहता हु की "डार्विन के सिद्धांत" को उसके ही देश मे नही पडाया जात वहा भी उसे कोरी गप्प करते है । डार्विन के सिद्धांत के बारे मे अधीक जानने हेतु,नजदीकी आर्य समाज मे जाकर के "वेदीक समप्ती" नामक पुस्तक पड लेना जिसमे "भारत की विश्व भर को विज्ञान के श्रेत्र मे दी गई देन" व डार्विन जेसे गप्पेबाज वेज्ञानिको के गप्पो की विस्तार से पोल-खोल रखी है।
अगर भारतिय जनमानस मे फेले अंधविश्वास, पाखंढ व मिथको की पोल-खोल करके पुन: धरति पर "वेदीक युग" "रामराज्य" की स्थापना करने के फलस्वरूप समाज मुजे भी ऋषि दयानन्द की तरह 16-16 बार जहर देकर के मारना चाहेगी तो मे मरना स्वीकार करूगा लेकीन अपने "वेदीक धर्म"को मिटने नही दुंगा ।
|| सत्य सनातन वेदीक धर्म की जय ||
लोट चलो वेदो की ओर —
धन्यवाद दोस्तों इस लेख को पढ़ने के लिए, ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ और Like करे इस पेज को ताकि आपको नई जानकारी मिलती रहे।
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.......................................ज्योतिष मेरी नजर में,
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ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी
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Saturday, April 4, 2015

हनुमान जयंती Hanuman Jyanti

हनुमान जयंती व शनिवार के शुभ योग में आप शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए भी कुछ विशेष उपाय कर सकते हैं। ये उपाय इस प्रकार है

1. शनिवार को शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें। इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं।

2. शनिवार को बंदरों और काले कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो सकता है अथवा काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करें।

3. शनिवार के एक दिन पहले पहले काले चने पानी में भिगो दें। शनिवार को ये चने, कच्चा कोयला, हल्की लोहे की पत्ती एक काले कपड़े में बांधकर मछलियों के तालाब में डाल दें। यह उपाय पूरा एक साल करें। इस दौरान
भूल से भी मछली का सेवन न करें।

4. शनिवार को अपने दाहिने हाथ के नाप का उन्नीस हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको माला की भांति गले में पहनें। इस प्रयोग से भी शनिदेव का प्रकोप कम होता है।

5. शनिवार को सुबह स्नान आदि करने के बाद सवा किलो काला कोयला, एक लोहे की कील एक काले कपड़े में बांधकर अपने सिर पर से घूमा कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें और किसी शनि मंदिर में जाकर शनिदेव से प्रार्थना करें।

6. शनिवार को एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना मुख देख कर और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर डाकोत (शनि का दान लेने वाला) को दान कर दें। ये उपाय प्रत्येक शनिवार को भी कर सकते हैं।

7. शनिवार को इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करें-
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

अर्थात: 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।

8. लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित कर शनिवार को पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।
(Astrologer Manoj Sahu Ji )

9. शनिवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें व उसकी पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जाप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा। वैदिक मंत्र- ऊं शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:। लघु मंत्र- ऊं ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।

10. शनिवार को सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें। इसके बाद नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चना को सरसो के तेल में छौंक कर इनका भोग शनिदेव को लगाएं और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से उतारकर किसी सुनसान स्थान पर रख आएं। यह उपाय करने से शनिदेव के प्रकोप में अवश्य कमी होती है

11. शनिवार को भैरवजी की उपासना करें और शाम के समय काले तिल के तेल का दीपक लगाकर शनि दोष से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
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खग्रास चन्द्र ग्रहण

नमस्कार दोस्तो,
मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषञ) की ओर से एक छोटी सी कोशिश :
(भूभाग में ग्रहण का समय: दोपहर ३-४५ से शाम ७-१५ तक )  भगवन वेदव्यासजी कहते है की सामान्य दिन से
चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना, यदि गंगा-जल पास में हो तो
एक करोड़ गुना फलदायी होता है ।

भूभाग में ग्रहण प्रारम्भ - दोपहर 3-45, समाप्त - शाम 7-15 तक ।
वेध (सूतक) – सुबह 6-45 से चालु है। अशक्त, वृद्ध, बालक, गर्भिणी तथा रोगी के लिए सुबह 11 बजे से वेध (सूतक) चालु है ।

ग्रहण के समय करणीय-अकरणीय नियम

१) ‘देवी भागवत’ में आता है :
‘सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करनेवाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक अरुन्तुद’ नरक में वास करता है। फिर वह उदर-रोग से पीड़ित मनुष्य होता है । फिर गुल्मरोगी, काना और दंतहीन होता है

२) सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (१२ घंटे) पूर्व और चन्द्रग्रहण में तीन प्रहर (९ घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए । बूढे, बालक और रोगी डेढ प्रहर (साढे चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं । ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए ।

३) ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते । जबकि पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए ।

४) ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए । स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं ।

५) ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए ।

६) ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्र और उनकी आवश्यक वस्तु दान करने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है ।

७) ग्रहण के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए ।

८) ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीडा, स्त्री-प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढी होता है । गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए ।

९) भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं :  ‘सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है ।  यदि गंगा-जल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड गुना फलदायी होता है ।’

१०) ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
कुछ मुख्य शहरों में ग्रहण के पुण्य काल प्रारम्भ का समय नीचे दिया जा रहा है । पुण्य काल समाप्ति सभी स्थानों का ग्रहण समाप्ति (शाम 7-15) तक रहेगा ।
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अहमदाबाद – शाम 6-54 से,
सूरत – शाम 6-53 से,
मुम्बई – शाम 6-52 से,
हैदराबाद – शाम 6-28
से, दिल्ली – शाम 6-38 से,
कलकत्ता – शाम 5-49 से,
नागपुर – 6-27 से,
जयपुर – 6-43 से,6
रायपुर – 6-16 से,
पुरी – 5-58 से,
चंडीगढ़ – शाम 6-41 से,
इन्दौर – शाम 6-41 से,
उज्जैन – शाम 6-41 से ,
जबलपुर – शाम 6-24 से,
जोधपुर – शाम 6-55 से,
लुधियाना – शाम 6-45 से,
अमृतसर – शाम 6-50 से,
जम्मू – शाम 6-50 से,
लखनऊ – शाम 6-22 से,
कानपुर – शाम 6-24 से,
वाराणसी – शाम 6-13 से,
इलाहबाद – शाम 6-17 से,
पटना – शाम 6-04 से,
राँची – शाम 6-02 से,
नासिक – शाम 6-48 से,
औरंगाबाद – शाम 6-42,
वड़ोदरा – शाम 6-52,
बैंगलोर – शाम 6-29 से,
चेन्नई – शाम 6-18 से,
देहरादुन – 6-36 से,
हरिद्वार– 6-35तक

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Friday, April 3, 2015

पार्वती हठ

पार्वती हठ ........
महादेव के लिए
‘हठ न छूट छूटै बरु देहा’
जन्म कोटि लागि रगर हमारी।
बरउँ सम्भु न त रहउँ कुँआरी।
‘तजउँ न नारद कर उपदेसू।
आपु कहहिं सत बार महेसू।।’
‘गुरु के वचन प्रतीति न जेही।
सपनेहु सुगम न सुख सिधि तेही।


हठ नहीं छूटेगा, शरीर भले ही छूट जाय करोड़ों जन्म तक हमारी यही टेक है कि शंभु का वरण करूँगी अन्यथा कुमारी रहूंगी ।मैं नारद का उपदेश नहीं त्याग सकती। भगवान् शिव भी स्वयं आकर सौ बार कहें तब भी मैं नहीं छोड़ूँगी। गुरु के वचनों पर जिसे विश्वास नहीं है उसे स्वप्न में भी न सुख है, न सिद्धि ही है।

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Thursday, April 2, 2015

=-=-=-=-मंगल देव-=-=-=-=

मैं (ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी) आप लोगों को मंगल देव के विषय में कुछ जानकारी देना चाहता हूँ।

सबसे पहले आप सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार, दोस्तों, ध्यान देने की बात है की मंगल कब अच्छे और कब ख़राब हो जाते हैं। जब मंगल का सम्बन्ध केतु या बुध के साथ हो जाये चाहे बो एक साथ हों या दृस्टि से मिल रहे हों तो भी मंगल का फल ख़राब हो जाता है। जब सूर्य और शनि मिल जाते हैं तब भी मंगल बुरे हो जाते हैं।
इसके अतिरिक्त और भी कई प्रकार से मंगल के गुण अवगुण में बदल जाते हैं।fb पर पूरी बात बताना सम्बभ नहीं है।


लेकिन जब मंगल देव अच्छे होते हैं तो क्या सुख मिलते हैं।पूर्ण पराक्रमी अच्छी हिम्मत बाला बिलकुल हनुमान जी की तरह जिसके साथ लग जाये उसके लिए अपना बलिदान तक दे दे।
एक दम सीधा साधा इंसान ज्यादा चंट चालक नहीं होता। मंगल अच्छे तो भाई यार दोस्तों के लिए पूरा सहायक और बो भी ऐसे व्यकित के लिए पूर्ण समर्पित होते हैं। और सबका पूरा सहयोग (सपोर्ट) भी मिलती है। जीवन में कभी खून से सम्बंधित बीमारी नहीं होती। 15 साल की उम्र से हालात अच्छे होने शुरू हो जाते हैं।28 से 33 साल की उम्र में पूरी तरह से ऊंचाइयों को पा लेता है।


घर में मंगल कारज जल्दी जल्दी होते हैं। दोस्तों, घर के बच्चों के शादी व्याह सही समय पर होते हैं।
लेकिन दोस्तों, अगर मंगल देव आपकी कुंडली में नीच के बद होके अर्थात ख़राब हो के बैठे हो तो घर का माहौल अच्छा नहीं होता भाई भाई में दुश्मनी हो जाती है।माँ बाप ही बच्चों में बिगड़बाते हैं। आपस में घर के सदस्य एक दुसरे से जलते हैं। 15 साल की उम्र से बच्चा बिगड़ना शुरू कर देता है।पढ़ाई लिखाई चौपट ।कँही भी टिकता नहीं।धैर्य कम हो जाता है। भटकाव बढ़ने लगता है। किसी पर विषबास् नहीं करता। बुरी सोहबत में पड़ जाता है। बुरे यार दोस्तों के साथ घूमता फिरता है और फालतू के झगड़े करता है। भाई भाई में भी लड़ाई झगड़े होते हैं जो दुनिया देखती है| जीवन में अस्थिरता बनी रहती है। आस पड़ोस के लोगों से भी अनबन का माहौल रहता है।घर में खुशियों का माहौल नहीं बन पाता ।शादी व्याह बड़ी उम्र में होते हैं। एक बात और ऐसे हालात में 28 से 33 साल की उम्र के बीच परिवार टूटते हैं। 


में एक प्रोफेसनल Astrologer हूँ। दोस्तों, मैं (ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी) अपना पूरा समय एस्ट्रोलॉजी को देता हूँ। अगर आप लोग अपनी कुंडली दिखाना चाहते हैं। या लाल किताब एस्ट्रोलॉजी सीखना चाहते हैं तो सम्पर्क कर सकते हैं !


दोस्तों आज ही अपनी कुंडली दिखाकर जानने की कोशिश करो आखिर क्या चीज है जो आप को नहीं करनी चाहिए और क्या करनी चाहिए.. वरना जिंदगी रुला देगी...आदतो को सुधार लो, आप हमेशा मुझे ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी को हमेशा याद करेंगे।
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मैं सिर्फ आपसे इतना कहना चाहता हु की अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिष को दिखाए या फिर मुझे एक बार आपकी सेवा का मौका दे. !
.......................................ज्योतिष मेरी नजर में,
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सोजन्य से...
ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी
(लाल किताब विशेषज्ञ)
मोबाइल - 9039636706 - 8656979221
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Monday, March 30, 2015

==> दरवाजे की ओर पैर करके सोना अपशकुन - जानिए !

दोस्तों, मनुष्य का लगभग आधा जीवन सोने में व्यतीत होता है। हर मनुष्य का सोने का तरीका एक-दूसरे से भिन्न होता है। आपके सोने का तरीका आपके क्रियाकलापों, मन की बातों, आदतों एवं आपके विषय में बहुत कुछ सच-सच बता सकता है। दोस्तों, सामुद्रिक शास्त्र या शरीर लक्षण विज्ञान के अंतर्गत इस संबंध में विस्तृत जानकारी मिलती है। इस संबंध में विस्तृत रूप से जानने के लिए पढ़िए- वास्तु विज्ञान में हर क्रिया के लिए अलग-अलग दिशा और स्थान का वर्णन किया गया है। इन्हीं नियमों में एक है कि व्यक्ति को कभी मुख्य दरवाजे की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए। इस तरह से सोना अपशकुन भी माना जाता है। इसलिए अगर आप घर के मुख्य दरवाजे की ओर पैर रखकर सोते हैं तो अपने सोने के तरीके को बदलिए।

दोस्तों, वास्तु विज्ञान के अनुसार मुख्य दरवाजे की ओर पैर का होना घर से बाहर निकलने का संकेत होता है। इस प्रकार से बाहर की ओर पांव करके मृत्यु के बाद ही व्यक्ति को लिटाया जाता है। इस दिशा में सोने से आयु कम होती है और व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। सोने के लिए सबसे अच्छी दिशा पूर्व और उत्तर को माना गया है।
 

पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सोने से शरीर उर्जावान और स्वस्थ्य रहता है। वास्तु विज्ञान में पूर्व और उत्तर पूर्व दिशा को उर्जा का केन्द्र माना गया है। इसे स्वर्ग की दिशा भी कहते हैं। इस दिशा की ओर मुंह करके सोने से शरीर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है और मानसिक तनाव में कमी आती है। लेकिन सूर्योदय की दिशा होने के कारण इस दिशा में मुंह करके सोने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए। अन्यथा सूर्योदय के समय आपका पांव सूर्य की ओर होगा। जिससे सूर्य देवता का अपमान होगा।
 

दोस्तों, शास्त्रों का मत है कि उत्तर दिशा कुबेर की दिशा है। इस दिशा की ओर मुंह करके सोने से उठते समय मुंह उत्तर की ओर होगा जिससे कुबेर की कृपा प्राप्त होगी। वहीं विज्ञान के अनुसार पृथ्वी के दोनों सिरों उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बीच चुम्बकीय प्रवाह होता है। उत्तरी ध्रुव चुम्बक के पोजिटिव और दक्षिणी ध्रुव निगेटिव पोल की तरह काम करते हैं। हमारा सिर पोजेटिव और पैर निगेटिव एनर्जी प्रवाहित करता हैं।
 

दोस्तों, भाइयो , यहाँ मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) आपको बताना चाहता हूँ की सोते समय उत्तर की ओर मुंह करके सोने से सिरहाना दक्षिण की ओर होता है। इससे हमारा सिर वातावरण की निगेटिव एनर्जी को अट्रैक्ट करता है और पैर पॉजेटिव एनर्जी को अपनी ओर खींचता है। जिससे सोते समय मन में उथल-पुथल नहीं मचती है और अच्छी नींद आती है। जबकि इसके विपरीत उत्तर दिशा की ओर दिशा करके सोने से मन में हलचल मची रहती है और अच्छी नींद नहीं आती है। सुबह उठने पर सिर भारी लगता है। जिससे कार्य क्षमता प्रभावित होती है।
 

धन्यवाद दोस्तों इस लेख को पढ़ने के लिए, ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ और Like करे इस पेज को ताकि आपको नई जानकारी मिलती रहे।

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Saturday, March 28, 2015

जिस व्यक्ति को संभोग का कोई अनुभव नहीं होता, वह अक्सर समाधि की तलाश में निकल जाता है।

जिस व्यक्ति को संभोग का कोई अनुभव नहीं होता, वह अक्सर समाधि की तलाश में निकल जाता है। वह अक्सर सोचता है कि संभोग से कुछ नहीं मिलता, समाधि कैसे पाऊं? लेकिन उसके पास झलक भी नहीं है,
जिससे वह समाधि की यात्रा पर निकल सके।

मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषञ) आपको बताना चाहता हूँ कि स्त्री-पुरुष का मिलन एक गहरा मिलन है। और जो व्यक्ति उस छोटे से मिलन को भी उपलब्ध नहीं होता, वह स्वयं के और अस्तित्व के मिलन को उपलब्ध नहीं हो सकेगा। स्वयं का और अस्तित्व का मिलन तो और बड़ा मिलन है, विराट मिलन है। यह तो बहुत छोटा सा मिलन है। लेकिन इस छोटे मिलन में भी अखंडता घटित होती है– छोटी मात्रा में। एक और विराट मिलन है, जहां अखंडता घटित होती है–स्वयं के और सर्व के मिलन से। वह एक बड़ा संभोग है, और शाश्वत संभोग है।
 

यह मिलन अगर घटित होता है, तो उस क्षण में व्यक्ति निर्दोष हो जाता है। मस्तिष्क खो जाता है; सोच-विचार विलीन हो जाता है; सिर्फ होना, मात्र होना रह जाता है, जस्ट बीइंग। सांस चलती है, हृदय धड़कता है,
होश होता है; लेकिन कोई विचार नहीं होता। संभोग में एक क्षण को व्यक्ति निर्दोष हो जाता है।
अगर आपके भीतर की स्त्री और पुरुष के मिलने की कला आपको आ जाए, तो फिर बाहर की स्त्री से मिलने की जरूरत नहीं है। लेकिन बाहर की स्त्री से मिलना बहुत आसान, सस्ता; भीतर की स्त्री से मिलना बहुत कठिन और दुरूह। बाहर की स्त्री से मिलने का नाम भोग; भीतर की स्त्री से मिलने का नाम योग। वह भी मिलन है। योग का मतलब ही मिलन है।


मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषञ) आपको बताना चाहता हूँ कि यह बड़े मजे की बात है। लोग भोग का मतलब तो समझते हैं मिलन और योग का मतलब समझते हैं त्याग। भोग भी मिलन है, योग भी मिलन है। भोग बाहर जाकर मिलना होता है, योग भीतर मिलना होता है। दोनों मिलन हैं। और दोनों का सार संभोग है। भीतर, मेरे स्त्री और पुरुष जो मेरे भीतर हैं, अगर वे मिल जाएं मेरे भीतर, तो फिर मुझे बाहर
की स्त्री और बाहर के पुरुष का कोई प्रयोजन न रहा। और जिस व्यक्ति के भीतर की स्त्री और पुरुष का मिलन हो जाता है, वही ब्रह्मचर्य को उपलब्ध होता है। भोजन कम करने से कोई ब्रह्मचर्य को उपलब्ध नहीं होता; न स्त्री से, पुरुष से भाग कर कोई ब्रह्मचर्य को उपलब्ध होता है। न आंखें बंद कर लेने से, न सूरदास हो जाने से–आंखें फोड़ लेने से–कोई ब्रह्मचर्य को उपलब्ध होता है। ब्रह्मचर्य को उपलब्ध होने का एकमात्र उपाय है: भीतर की स्त्री और पुरुष का मिल जाना।
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ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी
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मो. 9039636706 - 8656979221
 

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एक राजा वन भ्रमण के लिए गया।

एक राजा वन भ्रमण के लिए गया। रास्ता भूल जाने पर भूख प्यास से पीड़ित वह एक वनवासी की झोपड़ी पर जा पहुँचा। वहाँ से आतिथ्य मिला जो जान बची।
चलते समय राजा ने उस वनवासी से कहा- हम इस राज्य के शासक हैं। तुम्हारी सज्जनता से प्रभावित होकर अमुख नगर का चन्दन बाग तुम्हें प्रदान करते हैं। उसके द्वारा जीवन आनन्दनमय बीतेगा।
वनवासी उस परवाने को लेकर नगर के अधिकारी के पास गया और बहुमूल्य चन्दन का उपवन उसे प्राप्त हो गया। चन्दन का क्या महत्व है और उससे किस प्रकार लाभ उठाया जा सकता है, उसकी जानकारी न होने से वनवासी चन्दन के वृक्ष काटकर उनका कोयला बनाकर शहर में बेचने लगा। इस प्रकार किसी तरह उसके गुजारे की व्यवस्था चलने लगी।
धीरे-धीरे सभी वृक्ष समाप्त हो गये। एक अन्तिम पेड़ बचा। वर्षा के कारण कोयला न बन सका तो उसने लकड़ी बेचने का निश्चय किया। लकड़ी का गठ्ठा जब बाजार में पहुँचा तो सुगन्ध से प्रभावित लोगों ने उसका भारी मूल्य चुकाया। आश्चर्यचकित वनवासी ने इसका कारण पूछा तो लोगों ने कहा- यह चन्दन काष्ठ है। बहुत मूल्यवान् है। यदि तुम्हारे पास ऐसी ही और लकड़ी हो तो उसका प्रचुर मूल्य प्राप्त कर सकते हो। वनवासी अपनी नासमझी पर पश्चाताप करने लगा कि उसे इतना बड़ा बहुमूल्य चन्दन वन कौड़ी मोल कोयले बनाकर बेच दिया।
पछताते हुए नासमझ को सान्त्वना देते हुए एक विचारशील व्यक्ति ने कहा -
"मित्र, पछताओ मत, यह सारी दुनिया, तुम्हारी ही तरह नासमझ है। जीवन का एक-एक क्षण बहुमूल्य है पर लोग उसे वासना और तृष्णाओं के बदलें कौड़ी मोल में गँवाते रहते हैं। तुम्हारे पास जो एक वृक्ष बचा है उसी का सदुपयोग कर लो तो कम नहीं। बहुत गँवाकर भी कोई मनुष्य अन्त में सँभल जाता है तो वह भी बुद्धिमान ही माना जाता है।"
इसलिए भगवान नाम-जप-
'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।'
और खुश रहे।
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ज्योतिषीय मनोज साहू जी
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Friday, March 20, 2015

.धन (ध+न) का रहस्य.....


दोस्तों, हकीकत मे धन (ध+न) का रहस्य वे ही समझ पाये है जो "ध" यानी भाग्य और "न" यानी जोखिम दोनो को साथ लेकर चलते रहे है. 
मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) आपको बताना चाहता हूँ की जन्म कुंडली मे जिस स्थान पर धनु और वृश्चिक राशियां होंगी उसी स्थान से धन कमाने के रास्ते खुलेंगे.जब जोखिम है तो भाग्य को आगे आना ही है, मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी कोशिश करता हूँ की सभी को इस छोटी बातों में सारा ज्योतिष का भेद समझा सकूँ। आगे आपकी मर्जी भाइयों। धन्यवाद..
दोस्तों,जब तक जोखिम नही है तब तक भाग्य भी नही है,लगन मे वृश्चिक है तो यह जरूरी है कि आगे की राशि धनु होगी,व्यक्ति उन कामो को जब तक नही करेगा जो शरीर से जुडे 108 कारको से जोखिम रखते है तब तक वह 108 धन के प्रभाव उसे नही मिल पायेंगे.
दोस्तों आज ही अपनी कुंडली दिखाकर जानने की कोशिश करो आखिर क्या चीज है जो आप को नहीं करनी चाहिए और क्या करनी चाहिए.. वरना जिंदगी रुला देगी...आदतो को सुधार लो, आप हमेशा मुझे ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी को हमेशा याद करेंगे।
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मैं सिर्फ आपसे इतना कहना चाहता हु की अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिष को दिखाए या फिर मुझे एक बार आपकी सेवा का मौका दे. !
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Saturday, March 14, 2015

Dont let your marriage be a tale of sorrow



Friends marriage is a relation which helps a single man and a single women coexist and create a new family. Marriage is all about growing and earning respect in the society, our Indian system of astrology has a very accurate system to predict this holy alliance between a man and women.
Our ancestors believed heavily in the concept of kundli matching. Kundli if prepared properly can very accurately predict the entire life of a native, plus it can help in correcting all the obstacles of life before issues take shape of a contingency or emergency.

As a professional astrologer and a socially responsible human I strongly recommend everyone going ahead to tie the knot for a complete and through kundli analysis so that complications if any can be rectified on time.
Some of the highlighting cases which I have resolved using the knowledge of astrology are
Pandeya Family : after marriage the bride goes to her family home and is never called back. On kundli analysis it was found that the groom had an affair some where else and had married due to the family pressure. Later on the boy married his lover.

Now the above cited case could have been completely averted if some knowledgeable astrologer would have warned the family beforehand.
Friends I face such clients every day who have virtually destroyed their lives because of little carelessness.  

Now a days people just enter their birth details on free online sites and then make the decision themselves. Please remember that astrology is a science which requires real time analysis of charts.

Hence I would recommend everyone reading this article to consult a good astrologer before taking any major decision of life
Please share the information if you like it.

I can be consulted at : Indorejyotish121@gmail.com
Astrolger Shri Manoj Sahu Ji
Lal Kitab Expert
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Wednesday, March 11, 2015

==> दरवाजे की ओर पैर करके सोना अपशकुन - जानिए ! Why is it inauspicious to sleep with your feet pointing towards door

दोस्तों, मनुष्य का लगभग आधा जीवन सोने में व्यतीत होता है। हर मनुष्य का सोने का तरीका एक-दूसरे से भिन्न होता है। आपके सोने का तरीका आपके क्रियाकलापों, मन की बातों, आदतों एवं आपके विषय में बहुत कुछ सच-सच बता सकता है। दोस्तों, सामुद्रिक शास्त्र या शरीर लक्षण विज्ञान के अंतर्गत इस संबंध में विस्तृत जानकारी मिलती है। इस संबंध में विस्तृत रूप से जानने के लिए पढ़िए-
वास्तु विज्ञान में हर क्रिया के लिए अलग-अलग दिशा और स्थान का वर्णन किया गया है। इन्हीं नियमों में एक है कि व्यक्ति को कभी मुख्य दरवाजे की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए। इस तरह से सोना अपशकुन भी माना जाता है। इसलिए अगर आप घर के मुख्य दरवाजे की ओर पैर रखकर सोते हैं तो अपने सोने के तरीके को बदलिए।
दोस्तों, वास्तु विज्ञान के अनुसार मुख्य दरवाजे की ओर पैर का होना घर से बाहर निकलने का संकेत होता है। इस प्रकार से बाहर की ओर पांव करके मृत्यु के बाद ही व्यक्ति को लिटाया जाता है। इस दिशा में सोने से आयु कम होती है और व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। सोने के लिए सबसे अच्छी दिशा पूर्व और उत्तर को माना गया है।
पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सोने से शरीर उर्जावान और स्वस्थ्य रहता है। वास्तु विज्ञान में पूर्व और उत्तर पूर्व दिशा को उर्जा का केन्द्र माना गया है। इसे स्वर्ग की दिशा भी कहते हैं। इस दिशा की ओर मुंह करके सोने से शरीर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है और मानसिक तनाव में कमी आती है। लेकिन सूर्योदय की दिशा होने के कारण इस दिशा में मुंह करके सोने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए। अन्यथा सूर्योदय के समय आपका पांव सूर्य की ओर होगा। जिससे सूर्य देवता का अपमान होगा।
दोस्तों, शास्त्रों का मत है कि उत्तर दिशा कुबेर की दिशा है। इस दिशा की ओर मुंह करके सोने से उठते समय मुंह उत्तर की ओर होगा जिससे कुबेर की कृपा प्राप्त होगी। वहीं विज्ञान के अनुसार पृथ्वी के दोनों सिरों उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बीच चुम्बकीय प्रवाह होता है। उत्तरी ध्रुव चुम्बक के पोजिटिव और दक्षिणी ध्रुव निगेटिव पोल की तरह काम करते हैं। हमारा सिर पोजेटिव और पैर निगेटिव एनर्जी प्रवाहित करता हैं।
दोस्तों, भाइयो , यहाँ मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) आपको बताना चाहता हूँ की सोते समय उत्तर की ओर मुंह करके सोने से सिरहाना दक्षिण की ओर होता है। इससे हमारा सिर वातावरण की निगेटिव एनर्जी को अट्रैक्ट करता है और पैर पॉजेटिव एनर्जी को अपनी ओर खींचता है। जिससे सोते समय मन में उथल-पुथल नहीं मचती है और अच्छी नींद आती है। जबकि इसके विपरीत उत्तर दिशा की ओर दिशा करके सोने से मन में हलचल मची रहती है और अच्छी नींद नहीं आती है। सुबह उठने पर सिर भारी लगता है। जिससे कार्य क्षमता प्रभावित होती है।
धन्यवाद दोस्तों इस लेख को पढ़ने के लिए, ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ और Like करे इस पेज को ताकि आपको नई जानकारी मिलती रहे।
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Saturday, March 7, 2015

"शादी - कही दुःख और मुसीबत की शुरुआत तो नहीं !"

शादी एक सुखी परिवार की और सम्मानित समाज की शुरुआत करती है !
कृपया अपनी व् होने वाले वर-वधु की कुंडली जरूर उच्च ज्योतिष से मैच मेकिंग करवाये। सिर्फ गुण अकेले से विवाह शुभ नहीं होता। शादी - कही दुःख और मुसीबत की शुरुआत तो नहीं।

नमस्कार दोस्तों.
दोस्तों आज मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) आप सभी लोगो को सावधान कर रहा हूँ वरना जिंदगी दोबारा मौका नहीं देती, और न ही
गया हुआ समय वापस आता है

कई अनुभव जीवन में सुना.. जिनकी कुंडली-पत्रिका का अध्ध्यन करने
पर पाया "विवाह दोष" - कुछ उदाहरण आपके सामने:

(1) Pandeya Family - Indore
शादी के बाद दुल्हन पहली बार अपने मायके जाती है फिर वापिस ही नहीं आती
कारण:
लड़की ने अपने माँ बाप और समाज के दबाव में शादी किया था जबकि वो प्रेम विवाह करना चाहती थी। आज वो दूसरा प्रेम विवाह करके खुश है।

(2) Arora Family - Indore
शादी के बाद लड़की मायके गयी परन्तु लड़के वाले लेने ही नहीं आये
कारण:
लड़की को कोई अंदरुनी समस्या (बीमारी) थी

(3) Yadav Family - Indore
शादी के बाद लड़की मायके गयी लेकिन वो खुद वापिस ससुराल नहीं आना चाहती
कारण:
लड़की को कुछ ही दिनी में पता चल गया था लड़के का घर में ही किसी अन्य स्त्री से अवैध सम्बन्ध थे !


ऐसे कई सारे अनुभव है दोस्तों जो जिंदगी हिला देते है दोनों परिवार के।

दोस्तों कई मा-बाप ज्योतिष-पंडित से गुण मिलान करवाते है और पुरे गुण मिलने पर विवाह कर देते है जो की गलत है.
आज लाखो परिवार अलग हो गए जिन्होंने सिर्फ गुण मिलाकर शादी किया था। कुंडली में हर वो चीज देखनी पड़ती है जिसे जीवन में सामना करना पड़ता है। वो सिर्फ एक अच्छा ज्योतिष ही बता देता है बल्कि उपाय भी देगा।

दोस्तों आज ही अपनी कुंडली दिखाकर जानने की कोशिश करो आखिर क्या चीज है जो आप को नहीं करनी चाहिए वरना जिंदगी रुला देगी...आदतो को सुधार लो, आप हमेशा मुझे ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी को हमेशा याद करेंगे।
मैं सिर्फ आपसे इतना कहना चाहता हु की अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिष को दिखाए या फिर मुझे एक बार आपकी सेवा का मौका दे.

धन्यवाद दोस्तों इस लेख को पढ़ने के लिए, ऐसे ही बने रहिये मेरे साथ और Like करे इस पेज को ताकि आपको नई जानकारी मिलती रहे।

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Thursday, March 5, 2015

...कभी बॉस गलत मिलता कभी नौकरी गलत मिलती !!

दोस्तों हमेशा लोगो को किस्मत से ही शिकायत रहती है की नौकरी नहीं टिकती। कभी बॉस गलत मिल जाता है तो कभी नौकरी ही गलत मिल जाती है। ऐसा सिर्फ कुंडली में दोष होने के कारण ही जातक भटकते रहता है। यदि आप भी इसी तरह भटक रहे है। या ४ - ६ नौकरी बदल चुके है और तरक्की के नाम में कुछ हाथ नहीं आया है तो तुरंत अपनी कुंडली अच्छे ज्योतिष को दिखाए दोस्तों।

भाइयो, यहाँ मैं कुछ जनरल टिप्स दे रहा हूँ मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) आपको बताना चाहता हूँ की यदि आपके पास कुंडली दिखाने के पैसे नहीं है, और आपकी नौकरी खतरे में नजर आ रही है, तो इसे जरूर अपनाये। शायद २० - ३० % फायदा हो जाये। पूरा फायदा के लिए कुंडली के अनुसार उपाय दिए जाते है दोस्तों। जैसी बीमारी वैसी दवा दी जाती है.!
 

 उपाय:
बॉस को दोस्तों, खुश रखना है तो रविवार के दिन चावल और चीनी का प्रसाद बनाकर सूर्य भगवन को अर्पित करें। दोस्तों, इस प्रसाद को बॉस को खिलाने से बॉस का क्रोध धीरे-धीरे आपके प्रति कम होता है।

 
आपके प्रति कम होता है।
दोस्तों, अगर ऐसा करने में कठिनाई हो तो बॉस को खीर भी खिला सकते हैं। खीर चन्द्रमा का पदार्थ जो शीतलता प्रदान करता है।

दोस्तों, मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) आपको बताना चाहता हूँ की कुण्डली के दसवें घर में जो भी राशि हो उस राशि के स्वामी ग्रह का दोस्तों रत्न धारण करने से दसम भाव मजबूत होता है। दसम भाव मजबूत होगा तो कार्य क्षेत्र में उन्नति के अवसर मिलते रहेंगे।
अधिकारियों से भी दोस्तों, आपको सहयोग मिलेगा। दसम भाव अनुकूल होने पर पिता से भी मधुर संबंध बने रहते हैं।
दोस्तों आज ही अपनी कुंडली दिखाकर जानने की कोशिश करो आखिर क्या चीज है जो आप को नहीं करनी चाहिए और क्या करनी चाहिए.. वरना जिंदगी रुला देगी...आदतो को सुधार लो, आप हमेशा मुझे ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी को हमेशा याद करेंगे।
 

मैं सिर्फ आपसे इतना कहना चाहता हु की अपनी कुंडली किसी अच्छे ज्योतिष को दिखाए या फिर मुझे एक बार आपकी सेवा का मौका दे. !
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Friday, January 23, 2015

"आदमी के खर्चे और कर्जे मसान (शमशान) तक चलते हैं" -

"आदमी के खर्चे और कर्जे मसान (शमशान) तक चलते हैं!"

दोस्तों,
कोई कितना भी कोशिश कर ले की वो "कर्ज" न करे लेकिन वो इस मायावी संसार से नहीं बच सकता। इन्हे गुप्त कर्ज (ऋण) कहते है जो दुनिया को नहीं दिखता है यदि आप इस कर्ज को नहीं चुकाओगे, नहीं भरोगे, तो आपकी आने वाली पीढ़ी संतान को बहुत कष्ट समस्या होगी। 

मैं मनोज साहू कहता हूँ की जिस प्रकार आप अपने पिता- दादा की धन सम्पत्ति जायदाद का भोग करने का अधिकार रखते हो, उसी प्रकार पिता -दादा (पितृ) के गुप्त कर्ज को भी भोगने का और उनकी भरपाई करना आप के हिस्से में आएगा।

आज की दुनिया में आप अपने यही आस -पास के कष्ट और गरीबी / कर्ज से पीड़ित / कोर्ट कचहरी से परेशान लोगो को देखे और उनके बीते हुए समय को जानने की कोशिश करेंगे तो पता लग जायेगा की उनकी पिछली पीढ़ी दादा-परदादा काफी समृद्ध और धनी हुआ करते थे। अब उन्ही के ये वंश का पतन क्यों हो रहा है ? आखिर क्यों? नहीं तो मुझे एक बार कुंडली दिखाए मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ) बताऊंगा, क्यों इस वंश का पतन हो रहा है? और इसका क्या हल है?
आओ जाने कैसे नहीं बच सकता है:
* पैदा हुआ तो माता पिता का कर्ज !
* साँस लिया, उस परमात्मा का कर्ज !
* दूध पिया, माता का कर्ज !
* अनाज खाया, किसान का कर्ज !
* भूमि में खेला, प्रकृति का कर्ज !
* शिक्षा लिया, गुरु का कर्ज !
* बड़े भाई के साये में खेला, भाई का कर्ज !
* बड़ी बहन के साये में खेला, बहन का कर्ज !
* शादी विवाह किया, स्त्री का कर्ज !

फिर एक उदाहरण दे रहा हूँ -
कर्ज कैसे उतरे, इसे ध्यान से समझने की जरूरत है:

ऐसे कई जीवन के पहलू है जहा मनुष्य पैदा होने के बाद से लेकर मरते दम तक किसी न किसी के एहसान कर्ज तले पलता और बड़ा होता जाता है। सबसे बड़ी जो सोचने की बात है की वो बेवकूफ सोचता है की "मैं इसका दाम चुकाता हुँ या इसकी कीमत चूका दूंगा। क्या कोई ये बता सकता है की यदि किसान ने जिस परेशानी में उस अनाज को बोया उगाया वो समय / वो मौसम / वो पथरीली / कांटे / कीचल वाली जगह और वो दुःख। क्या उसकी कीमत कोई दे सकता है ? नहीं।

क्या कोई माता का कर्ज उतार सकता है? नहीं
कुछ लोगो का मानना है की हम माँ बाप को पालेंगे तो इससे हमारा धर्म और कर्त्तव्य भी पूरा हो जायेगा। मैं ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी ये कहना चाहूंगा आप सभी को कि अगर आप ऐसा सोच रहे है की हम किसी न किसी रूप में कर्ज उतार देते है या दाम देकर उतार देंगे। आप सभी लोग गलत है दोस्तों। क्योंकि आप सब से पहले जाने की आप का जन्म इस पृथ्वी में हुआ ही क्यों है ?
फिर जाने की हुआ तो क्या धन कमाने / परिवार पालने / धन, स्त्री, गरीब का शोषण करने के लिए हुआ है?
उदाहरण
माता का कर्ज :
माँ का पालन पोषण, ध्यान, सम्मान देना, आपका कर्त्तव्य है। सिर्फ ये ही नहीं की अपनी माँ की सेवा से आप मातृ ऋण से मुक्त होंगे बल्कि सभी माएं जो किसी अन्य की भी माँ हो उनका भी सम्मान करना और सेवा करना आपका कर्त्तव्य है।
यदि ऐसा आप नहीं करते है तो आप माता के कर्ज से मुक्त नहीं होंगे। हर माँ की सेवा आप का फर्ज है.
इसी प्रकार हर रिश्ता और जुड़ा हुआ व्यक्ति की मदद करना, सेवा करना आपका फर्ज है जिससे आप कर्ज से बच सकते है.

इन्हे गुप्त कर्ज (ऋण) कहते है जो दुनिया को नहीं दिखता है
यदि आप इस कर्ज को नहीं चुकाओगे, नहीं भरोगे, तो आपकी आने वाली पीढ़ी संतान को बहुत कष्ट समस्या होगी।

मैं मनोज साहू कहता हूँ की जिस प्रकार आप अपने पिता दादा की धन सम्पत्ति जायदाद का भोग करने का अचिकार रखते हो , उसी प्रकार पिता दादा (पितृ) के गुप्त कर्ज को भी भोगने का और उनकी भरपाई करना आप के हिस्से में आएगा।
आज ही अपनी जन्म कुंडली से जाने, कौन सा पितृ दोष लेकर आप जन्मे है या आपकी संतान कौन सा पितृ दोष लेकर आये है। जिसका निवारण और हल तुरंत करे और फिर देखे जीवन में तरक्की किसे कहते है। फिर आप ही लोगो को और मुझे (ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ)) कहेंगे की
.............................."बड़े भाग्य, मनुष्य तन पायो "...........................

दोस्तों आज ही अपनी कुंडली दिखाकर जानने की कोशिश करो आखिर क्या चीज है जो आप को नहीं करनी चाहिए !!

Astrologer Manoj Sahu Ji (Lal Kitab Expert)
ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी (लाल किताब विशेषज्ञ)

Contact: 9039636706, 8656979221


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Saturday, January 10, 2015

"आखिर क्या किया तुमने_ हमारे लिए"


"समय का दुरूपयोग करने की भूल करना उतना ही बराबर होगा...जितना की आप अपने भाग्य और भविष्य को ठुकराना" 

आपने तो देखा ही होगा कई व्यापारी दूकान डाल के बैठे रहते है कपडे की, पान की, या और भी कई , सिर्फ टाइम पास होता है और ऐसा नहीं की वो बच्चे हो, अपने आस पास देखो उनकी उम्र भी जिम्मेदारी वाले, बुजुर्ग होते है,सिर्फ एक बार कभी कभार उन्हें लाभ हुआ था उसी की आस में सारी जवानी और बुढ़ापा दूकान में गंवा देते है और सिर्फ दूकान में टाइम पास ही होता है , चार दोस्तों को (उन्ही के आस पास वाले जिनका केतु ख़राब है) अपने दूकान में बिठा के राज नीति करवालो तो उन से बड़ा "मोदी" कोई नहीं होगा, लेकिन वो अभी कहा है उन्हें ही नहीं मालूम। दोस्तों, यदि किसी की कुंडली में केतु ख़राब हो जाये तो दोस्तों समय का अहसास नहीं होने देता है!
 
जल्द से जल्द अपनी कुंडली दिखाए और अपने समय का सही सदुपयोग करे। अभी कॉल करे नीचे दिए गए नंबर में। वर्ना आप भी चार लोगो के साथ हा -हा -ही - ही करे। और बुढ़ापे में बच्चे - बीबी की डाट सुने "आखिर क्या किया तुमने हमारे लिए"


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Friday, January 9, 2015

सबकी शिकायत: " धन नहीं टिकता है...!" Everyone complains, "Not able to save money"!

सबकी शिकायत: " धन नहीं टिकता है...!"
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क्या कभी जानने की कोशिश की, क्यों धन नहीं टिकता है जबकि पैसा आता तो है फिर भी खर्चे उससे अचिक हो जाते है. आखिर क्यों ?

दोस्तों 10% कुंडली में "धन अधिक खर्चे के योग"
या "पैसा न टिकना के योग"
या "सिर्फ मेहनत आपकी मौज परिवार की / साथ वालो की के योग" होते है।

लेकिन 10% कुंडली ऐसी और इतनी अच्छी होती है की धन , मौज , मज़ा , ऐश होने के योग दशा के बाद भी पैसा नहीं बचता है। आखिर क्यों ? कुंडली अगर ठीक है तो अपनी आदत सुधारों। उसका कारण आज मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ ध्यान से पढ़े और अपने में सुधार करे:

-दोस्तों अपने गुप्त अंगो को हमेशा साफ़-सुथरा रखना चाहिए। "धन" गुप्तांगो का करक शुक्र है।

-दोस्तों घर में (अंदर या सामने) गन्दा पानी जल संग्रह कर के रखना नहीं चाहिए।
इन छोटो छोटी आदतो को सुधार लो, आप हमेशा मुझे ज्योतिषाचार्य मनोज साहू जी को हमेशा याद करेंगे।

-शाम के समय सोना और भोजन करना मना है दोस्तों ।

-दोस्तों गीले पैर नहीं सोना चाहिए।

-रात में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है। इनका सेवन रात के भोजन में नहीं करना चाहिए।

-भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है।

-जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए।

-सुबह कुल्ला किए बिना पानी या चाय न पीएं।

-जूठे हाथों से या पैरों से कभी गौ, ब्राह्मण तथा अग्नि का स्पर्श न करें।

-घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाए गए फूल या हार के सूख जाने पर भी उन्हें घर में रखना नहीं चाहिए।

दोस्तों आज ही जानने की कोशिश करो आखिर क्या चीज है जो आप को नहीं करनी चाहिए वार्ना जिंदगी रुला देगी!!

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